हमारी रगों में रची-बसी है हिन्दी : तरुण शर्मा

दिल्ली, 10 फ़रवरी: भाषा प्रेमी ओर द हिंदी के प्रबन्ध संपादक तरुण शर्मा ने हिन्दी भाषा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “हमारी रगों में रची-बसी है हिन्दी, यह हमारी पहचान और संस्कृति का हिस्सा है। हिन्दी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि हमारे दिलों और विचारों में गहराई से बसी हुई है।”तरुण शर्मा ने आगे कहा, “हिन्दी के महत्व को समझना और इसे बढ़ावा देना हमारी जिम्मेदारी है। आजकल की वैश्विक दुनिया में, जहां अंग्रेजी का बोलबाला है, हमें अपनी मातृभाषा को संरक्षित रखना होगा। हिन्दी ने हमेशा हमें अपने विचारों को व्यक्त करने, अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संजोने और एक दूसरे से जुड़ने का अवसर दिया है।”

हिंदी ओलिंपयाड में बतौर विशिष्ट अतिथि पधारे श्री तरुण शर्मा के अनुसार, हमें अपनी राज भाषा हिन्दी को जितना हो सके उतना बढ़ावा देना चाहिए और जितना हो सके हिन्दी में हस्ताक्षर करना चाहिए। उन्होंने बताया कि द हिन्दी की ओर से बीते दशक से ही हिंदी में हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है। अब तो भारत सरकार के कई कार्यालयों में भी इस अभियान की खबर मिल रही है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि जब हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह देश ही नहीं विदेशों में भी हिंदी में ही आचार-व्यवहार करते हैं, तो हम नागरिकों के लिए यह आत्मसात करने योग्य है।

राजधानी में एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में हिंदी विकास संसथान द्वारा आयोजित आठवीं अंतरराष्ट्रीय हिन्दी ओलिंपियाड   2024 -2025 सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। ओलिंपियाड देश में  भर के स्कूलों के पहली से बारहवीं के करीब 60 हज़ार से ज्यादा बच्चों ने हिस्सा लिया। समारोह के मुख्य अतिथि श्री सईद अंसारी ( कार्यकारी संपादक – आज तक ), श्री वीरेंद्र भारद्वाज (प्राचार्य – शिवजी कॉलेज) , डॉ ज्वाला प्रसाद (निदेशक गाँधी समिति अवं दर्शन समिति ),विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री तरुण शर्मा (प्रबंध  संपादक  – द हिन्दी)  एवं श्री कपिल शर्मा (संयोजक – हिन्दी विकास मंच, अंतर राष्ट्रीय हिन्दी ओलिंपियाड) रहे।

कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों के दीप प्रज्वलन और छात्रों द्वारा मां सरस्वती की वंदना से हुई। देश भर से आये बच्चो ने विभिन्न विषयों पर कविताएं सुनाईं। सम्मान समारोह में ओलिंपियाड में पहले, द्वितीय और तीसरे स्थान पाने वाले बच्चो को सम्मानित किया गया। आयोजकों द्वारा अतिथियों को स्मृति चिन्ह आदि से स्वागत किया गया।

हिंदी भाषा को आगे बढ़ाने वाली अध्यापिकाओं को “भाषा सारथि सम्मान “ दिया गया और “राष्ट्रीय हिन्दी ओलिंपियाड“ में सबसे ज्यादा भागीदारी लेने वाले 10 विद्यालयों को ट्रॉफी देकर सम्मानित किया गया ।

मुख्य अतिथि श्री सईद अंसारी ने बताया की किस तरह से उनके जीवन में उनकी कक्षा ग्यारहवीं की हिंदी की अध्यापिका का उनके जीवन में अहम भूमिका रही, उन ही के कारण वह हिंदी के पत्रिकाएं पढ़ते थे, हिंदी के बुलेटिन सुनते थे और आज वह जिस मुकाम पर हैं उसका श्रेय राज भाषा हिंदी को ही जाता हैं, साथ ही साथ श्री वीरेंद्र भरद्वाज जी ने बताया की हमें हमारी मात्र भाषाओ और हमारी  राज भाषा हिंदी को बढ़ावा देना चाहिए और विश्व भर में हिंदी का प्रचार करना चाहिए।

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